चण्डीगढ़,22.03.25- : सेवा धाम, सेक्टर 29 द्वारा 12 से 15 वर्ष की आयुवर्ग के किशोर बच्चों के साथ एक इंटरैक्टिव सत्र सनातन धर्म के मूल सिद्धांत का आयोजन किया गया जिसमें सरकारी होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, बेंगलुरु के पूर्व प्राचार्य प्रो. डॉ. बीडी पटेल मुख्य वक्ता थे।
उन्होंने स्वामी चिन्मयानंद के सनातन धर्म के कथन से शुरुआत की कि यह मज़हब नहीं, बल्कि विज्ञान है, क्योंकि विज्ञान किसी एक व्यक्ति का नहीं है या किसी एक व्यक्ति द्वारा शुरू नहीं किया गया है और यह किसी एक व्यक्ति के स्वामित्व में नहीं है। लोग विज्ञान में योगदान करते रहते हैं। सनातन धर्म में महान संतों से लेकर आधुनिक युग के समाज सुधारकों जैसे दयानंद सरस्वती, गुरु नानक जी, महावीर, गौतम बुद्ध, कबीर आदि ने योगदान दिया। सनातन धर्म मुक्ति का मार्ग है। सनातन धर्म यानी सदा आयतनम् - सदा नूतनम् - इति सनातनम् - न पुरातनम्।
वक्ता ने कहा कि सनातन धर्म किसी एक सिद्धांत,किसी एक व्यक्ति, किसी एक स्थान एवं किसी एक समय पर आधारित नहीं है। यह आध्यात्मिक अनुभव पर आधारित है और तर्क के अधीन है।
उनके मुताबिक शिव शक्ति रचनात्मक ऊर्जा के अव्यक्त और व्यक्त का चित्रण है। वर्ष 2013 में सर्न प्रयोगशाला में किए गए परीक्षण में उत्पन्न हुई ऊर्जा, जिसे गॉड पार्टिकल का नाम दिया गया था, उसका केनोपनिषद में स्पष्ट रूप से वर्णन किया गया है। वैदिक साहित्य में वेद, श्रुति, स्मृति, उपनिषद, पुराण, इतिहास आदि शामिल हैं। मूल प्रणव, ओम है, जिसे गूंगे व्यक्ति सहित कोई भी व्यक्ति बोल सकता है क्योंकि ओम बोलने में जीभ के अतिरिक्त भी बोला जा सकता है।